पाकिस्तान वर्तमान समय में अपने इतिहास के एक बड़े संकट से जूझ रहा है जिससे निपटने के लिए उसके पास न तो कोई स्पष्ट योजना है और न ही रुपरेखा| सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी दल के बीच तय समय सीमा में चुनाव कराने और सत्ता हासिल करने के लिए शुरू हुई कशमकश देखते ही देखते एक ऐसे खतरनाक मोड़ पर जा पँहुची है कि जहाँ देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्थान—विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, एवं सेना—आपसी खींचतान, टकराव और संघर्ष का एक नया अध्याय लिख रहे हैं| इस टकराव और संघर्ष की परिणति किस रूप में होगी इसका ठीक-ठीक अनुमान लगाना इस समय काफी कठिन है| आने वाले कुछ हफ्ते पाकिस्तान में राजनितिक स्थिरता के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होने वाले हैं|